“धरती माँ”
हिरण्यमयी,सुवर्णा,रत्नगर्भा,
न जाने कितने तेरे नाम
अनंत काल से तू करती आयी
लालन-पालन…प्यारी धरती माँ
खेल कूद कर बड़े हुए हम
तेरी माटी के ठाँव
कहाँ मिलेगी जग में हमको
ऐसी स्नेहिल ममता की छाँव
आओ ! प्रण लें हम
बारंबार करें प्रणाम नमन
नहीं कभी दुखने देंगे हम
“धरती माँ” का तन और मन
@reetatandonbadhwar
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One Comment on “रीटा बधवार (UBI धरती माँ प्रतियोगिता | प्रशंसा पत्र (कविता ))”
अति सुंदर सृजन।।