अमावस की रात दुल्हन सी सज उठी
जब चहुं ओर दीप जगमगा उठे
झिलमिलाते सितारों की चादर ओढ़कर
पहना उसने खुशियों का हार,
लो आ गया दीपावली का त्यौहार।,
चारों तरफ छाई खुशियों की बहार है,
सब पर छाया उत्सव का शुमार है
अब क्यों रहे किसी के घर में भी अंधेरा!!!
स्वर्णिम आभा का सबके जीवन में हो सबेरा,
अज्ञानता, घृणा, एवम् क्रोध का
कलुषित भाव दूर कर
आओ अब कुछ ऐसा करें
सब एक दूसरे के गले मिलें
मिल जुलकर कर प्रेम का दीपक जलाएं।
एक दूसरे के साथ खुशियों की
चाशनी में बनी मिठाइयां खाएं
हाथ पकड़ कर गरबा करें
सब भंगडा पाएं
आओ मिलकर उत्सव मनाएं।