दिलों में उम्मीद की एक शमा जलाए रखना
अंधेरा हो तो हौसलों के चिराग़ जलाए रखना
ये अँधेरी काली रात भी कभी आनी जरूरी है
जिंदगी में गमों की परछाई भी आनी जरूरी है
जब बात अंधेरे की हो तब ये सवाल आते होंगे
सबकी तरह आपको भी ये ख्याल सताते होंगे
तो चलिए हम ज़रा नजरों को घुमा कर देखते है
बात हो अंधेरे की तो उसमें खूबियों को देखते है
की अँधेरी रातों में ही नए ख्वाब सजाए जाते हैं
सितारें भी रोशन होते है औऱ आजमाए जाते है
अमावस रातों में दिए का वजूद खास होता है
लौ मद्धम भी हो नवजीवन का अहसास होता है
अंधरे में हि चाँद के यौवन में निखार आता है
परवान चढ़ी मुहोब्बत का अंजाम नज़र आता है
अंधेरा न होता तो क्या पंछी घरों को लौटते?
कैसे बनते महल गर रातों में मजदूर न सोते ?
ममता की लोरी भी तब अधूरी ही रह जाती
न ही चाँद की परछाई कान्हा के हिस्से आती
दुश्मन को हराने का दृढ़ संकल्प कैसे ले पाते
अंधेरे में तीर चलाना जो अर्जुन से न सीखे होते
मुश्किलों से बेखबर ही बनाते हम मंसूबे सारे
रोशनी भी बेजान होती न होते गर अंधरे साये
जिंदगी के रंगमंच पर जलाते फिर चिराग नहीं
न होते करम खुदा के जो होते ये अंधियारे नहीं
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