एक पिता
प्रत्येक परिवार में माँ बच्चों के सबसे करीब होती है लेकिन जीवन भर भोजन की व्यवस्था करने वाले पिता को हम भूल जाते है। ऐसा क्यों? परिवार में मृत्यु पर हम सभी रोकर अपनी व्यथा व्यकत कर देते है लेकिन पिता अपने आँसू पी जाता है।अपनी माँ की मृत्यु पर उसके आँसू सूख जाते है क्योंकि उसे परिवार को संबल देना होता है। उसकी खुद की पत्नि की मृत्यु होने पर भी नहीं रोता क्योंकि उसे बच्चों को संभालना भी होता है।
उसे अपनी सुध लेने की सुध कहाँ वह तो अपने परिवार को सुखी देख मुस्करा भर देता है। वह तो अपनी छेद वाली बनियान,अनगिनत बार ठीक कराऐ जूते और दो जोडी कपडों से जिंदगी गुजार देता है। एक पिता बीमार नहीं पडता और न ही कभी कार्यालय से अवकाश ले पाता है और अवकाश लेता है तो एक या दो दिन।
पिता एक सहृदय व्यक्ति होता है लेकिन परिवार के सदस्य डर का भाव रखते है उसके प्रति। वह भी गले लगा कर आत्म सुख चाहता है। पिता भी क्या
करें उसको ईश्वर ने कठोर हृदय बनाया है। अगर वह टूट गया तो परिवार बिखर जाऐगा।
परिवार को आनंद देने और उनकी खवाहिशें पूरी करते करते एक पिता आंतिम यात्रा पर चला जाता है।
हे पिता! तुझे शत् शत् नमन।
प्रमोद ‘प्रकाश’।
(प्रमोद सक्सेना)