सूर्य के तेज़ को भी एक परछाई फीका कर देती है तब सूर्य ग्रहण कहलाता है,वैसे ही जब अपने दग़ा देते है तब रिश्तों पर भी ग्रहण लगजाता है,और ज़िंदगी भर का दुःख देजाता है,एक पल में साथ छूट जाता है,जैसे सूरज भी ग्रहण के समय बेबस हो कर रह जाता है।
नम्रता पिल्लै
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