संगीत है जीवन
छम-छम गिरा अम्बर से पानी,
बूँदों से मिल हुई प्
शुरू हुआ टिप-टिप का संगीत,
जिसको सुन मेरे मन मीत
जीवन में भर जाती प्री
तितली और भँवरों का गान,
बढ़ा देता उपवन की शान,
सुनकर भँवरों की गुनगुन,
फूलों में भर जाती जान।
जगाती अद्भुत संगीत लहरों
पक्षियों की फड़फड़ाहट सुन
झर-झर बहता झरना गाता जाए ये तराना,
रुकना नहीं बहते ही रहना,
धुन में अपनी गाते ही रहना।
नाचते मोरों के पंखों का संगीत,
उड़ा देता मेघों की नींद,
उमड़-गुमड़ ख़ुश हो बरसाएँ नीर,
पहुँचे मेघ धरती से मिलने आसमाँ को ची
रेगिस्तान की उड़ती रेत बजा रही सरगम,
जिसे सुन मिट रही धरती की तपन,
देख प्रकृति का ऐसा जुनून,
मन में भर जाए सुकून।
संगीत है आती-जाती धड़कनों में,
सर-सर करती हवाओं में,
उठती-गिरती लहरों में,
धरती माँ की गोद में,
संगीत है कोयल की वाणी में,
जो भर देता मिठास आमों में ।
अनोखी शक्ति से भरी जीवन सरगम,
भर उल्लास मिटाती तम,
सुरों की झंकार से मिट जाए ग़म,
आसमान को मैं जाना चाहूँ चूम,
जब दिल के तारों की बजे
जब दिल के तारों की बजे सरगम।
इंदु नांदल
स्वरचित ✍️
जर्मनी
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4 Comments on “इंदु नांदल । (विधा : कविता) (संगीत की शक्ति | सम्मान पत्र)”
Beautiful poem written by talented Indu. Best wishes!
इंदु द्वारा रची सुंदर कविता ! शुभकामनाये !
Thank you so much Ravi 🙏🙏🙏🙏😊
Wow and continue with your beautiful work
So nice..keep going👍👍