ए मेरे गुजरते हुए साल
तुम आज जा रहे हो
या हो रहे हो विलोप
इस चलते हुए जग से
तुम अब बस याद में रहोगे
तुम जैसे निभते रहे मुझसे
पूरे साल साथ कुछ खटाई
और कुछ मिठाई के
अब चाहूँ तब भी
तुम वापस ना आओगे
कभी अपने होने का साथ
न जाने किस तरह से
जब तबअहसास कराओगे
फिर जब तुम गुजर रहे हो
मैं भी अपने को समझ कर
नव वर्ष के पटाखे छोड़ रहा हूँ
तुम्हें जाते हुए देख भी
अपना साथ भूल रहा हूँ
इंसान हूँ यार
अपनी फितरत नही
छोड़ रहा हूँ
तुम्हें भूल रहा हूँ
तुम्हें भूल रहा हूँ
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1 Comments on “सुरेन्द्र बंसल (धन्यवाद 2019 | सहभागिता प्रमाण पत्र )”
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