भाग्य को पुरुषार्थ से .. फिर आजमा कर देखिये
अब तलक जो ना किया .. एक बार कर के देखिये ..!!
क्या हुआ जो कल के बादल .. छँट गये बरसे बिना
आज बारिश की नयी उम्मीद .. कर के देखिये ..!!
मिट ही जाते हैं अंधेरे .. स्याह रातों के सदा
नव सुबह की रश्मियों को .. सोच कर तो देखिये ..!!
कब बदल ले रुख न जाने .. कोई भी तकदीर का
नये अवसर नयी कोशिश .. फिर से कर के देखिये ..!!
दे रहा दस्तक समय है .. अब नयी किरणों के साथ
भूल कर अनुभव .. नयी आशा जगा कर देखिये ..!!
हो गये हों पाँव बोझिल .. थक गया हो जिस्म भी
हौसला मन में बना कर .. फिर से चल कर देखिये ..!!
लक्ष्य निर्धारित किया है .. जो हृदय मन प्राण से
कर्मपथ और धर्मपथ से .. उसको पाकर देखिये ..!!
By Pramod Mundra
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