जा रहे हो, वाह, जाओ जल्दी जाओ,
वैसे किसी के जाने की राह तकना ,
हमारी आदत तो न थी कभी भी,
पर तूमने यह नया काम किया है,
समय की गंगा बहती ही रही है निरंतर,
अच्छा बूरा साधारण यही था अंतर,
पर २०१९ तूझे किस श्रेणी मे डालू,
कहा से वो अदभूत शब्द खंगालू,
जो वर्णन करे मेरी गह़री पिडा का,
उस अस्सिम स्नेह के खोने के दर्द का,
जो होता है मां के मृत्यू से,
उसके इस धरा से जाने से,
२०१९ जल्द ही तू जाएगा ,
फिर कभी तू न आएगा ,
धन्य है वो भगवान जो,
मां एक ही गढता हैं,
धन्य हैं की ऐसा दर्द,
एक बार ही सहना पडता हैं,
जा छिप जा २०१९ तू ,
तू वक्त की आगोश मे,
कही तूझे श्राप न दे मन मेरा,
इस दूखं भरे जोश मे,
जा तू जा अब कभी मत आना,
क्योकी अब मां न रही ,
सो अब वक्त तो बस रह गया ,
क्षणो का निरंतर जाना.
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