वो गांव जहां मेरे पापा रहते है,
कभी जबान से नहीं कहा
कि वो मुझसे प्यार करते है
कभी ये भी नहीं बताया
छुट्टियों में मेरा इंतजार करते है।
मैं जब गांव आती हूं
अपने खेतों से मिलने जरूर जाती हूं
पापा बहुत खुश नज़र आते है
जब अपने हाथों से आम तोड़ मुझे खिलाते है।
मैं उनके लिए कोई सामान ले आऊं
तो मुझ पर बेवजह चिल्लाते है
हां पर ये भी मालूम है मुझे
मन ही मन मुस्कुराते है ।
जब खुश होते है तो
ज्यादा कुछ नहीं करते
बस शाम को घर आते वक्त
लीची का गुच्छा ले आते है
मम्मी कहती है जब से मैं पैदा हुई
पापा किसी भी लड़की की विदाई नहीं देख पाते है
शायद मेरे दूर जाने के ख्याल से ही
पापा अपने अंतर्मन तक सहम जाते है।
रहना चाहती हूं हमेशा मैं
उसी गांव जहां मेरे पापा रहते है
कनक
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