// मोटरकार //
चुन्नू की माँ दूसरों के घरों में काम करके अपना और बच्चे का पेट पालती थी।
एक दिन चुन्नू भी माँ के साथ गया, वहाँ उसने मालिक के बेटे को छोटी सी मोटरकार में बैठे देखा। वो ललचायी नज़रों से देखता रहा। घर आकर उसने माँ से मोटरकार की माँग की। माँ भला कहाँ से लाती मोटरकार?
तभी उसे याद आया किसी ने थर्मोकोल का बड़ा डब्बा खाली करके बाहर डाल दिया था, जिसे वो उठा लाई थी। उसने उसमें एक मजबूत डोरी बाँधी और चुन्नू को उसमें बिठाकर खींचने लगी। चुन्नू इस मोटरकार की सवारी कर खुशी से फूला ना समाया।
©आभा “नंदा”
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