मै कक्षा 5 का विद्यार्थी था, सन 1993 , उस समय 5th क्लास में भी बोर्ड की परीक्षा होती थी, मै बहुत चिंतित था, लक्ष्य था स्कूल में अव्वल आना, मेरी शिक्षिका जिनका नाम था श्रीमती उषा जी, मै उनके पास गया घर उनके मेरा गणित थोड़ा कमजोर था उस समय में, मैडम ने मुझे अपने घर बुलाकर 1 माह तक रोज रात्रि में 7-9 अतिरिक्त समय दिया, और मेरी जो दुविधा, संशय , समस्या थी उनका निदान हुआ, जबकि मैडम टयूशन देती थी बच्चो को लेकिन मेरे प्रति स्नेह ज्यादा था उसका मुख्य कारण मै विद्यालय में नाटक, गीत में हमेशा भाग लेता था, और मैडम उसकी भी प्रभारी थी।उन्होंने मुझे यह कह कर निशुल्क टयूशन दिया कि, तुम मेरे सबसे प्रिय हो और परीक्षाओं में जैसा उन्होंने तैयारी कराई थी उसी के अनुरूप प्रश्न पत्र आया और मैंने 99% के साथ विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त कियाआज मै दिल्ली में रहता हूं, लेकिन जब कभी भी घर जाना होता है, उनसे जरूर मिलता हूं और बरसो पुरानी बाते ताजा हो जाती हैआज भी उनका स्नेह, प्यार वैसा ही हैविद्यालय का नाम शिखर शिशु सदन
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