ऐ दिले नादान
क्यूं चाहता है
ख्वाहिशें
सब पूरी हों तेरी
गर दो चार
रह जाएंगी अधूरी
सच कहूं, जिन्दगी से
तब भी
मुझे कोई गिला नहीं
ऐसी भी क्या जिद
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ऐ दिले नादान
क्यूं चाहता है
ख्वाहिशें
सब पूरी हों तेरी
गर दो चार
रह जाएंगी अधूरी
सच कहूं, जिन्दगी से
तब भी
मुझे कोई गिला नहीं
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