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Dr Shweta Prakash Kukreja (Power of Music | Certificate of Gold pen )

कार में बैठी वह बार बार घड़ी देख रही थी।आज स्वरा का चौथा जन्मदिन था और वह समय पर घर पहुँचना चाहती थी।तभी फ़ोन की घंटी बजी।अम्मा का कॉल था,
“कहाँ हो गुड़िया?मैंने सारी तैयारियां कर ली है,कितनी देर हैं तुमको?”
“अम्मा बस दस मिनट में मैं आपके पास आ जाउंगी।”
फ़ोन पर अम्मा का फोटो देखते ही वह बीते कल में जा पहुंची।संगीत में एम.ए. करने के बाद उसकी शादी पक्की हो गयी थी।शादी के एक हफ़्ते बाद ही अमित ने उस पर हाथ उठा दिया था।उसने तुरन्त घर फ़ोन कर अपनी माँ को बताया तो उन्होंने उसे चुप रहने की हिदायत दी।”हो जाता है कभी कभी,भूल जा सब कुछ और उसके हिसाब से चलने की कोशिश कर।”अभी इस सदमे से बाहर ही नहीं आ पाई की उसकी सासू माँ आ गयी।उन्होंने प्यार से उसका माथा सहलाया और उसे चुप कराया।फिर तो अम्मा ही उसकी सब कुछ थी।
शादी के दो साल हो गए पर वह माँ न बन पाई।एक दिन उसने अमित से डॉक्टर को दिखाने को कहा तो जवाब थप्पड़ से मिला।”वह बाप नहीं बन सकता सीमा।तभी तुम पर हाथ उठा कर खुद को अपने मर्द होने का सबूत देता रहता  है।”अम्मा के ये शब्द उसपर कहर बन कर बरसे।वह अनमनी सी रहने लगी तो अम्मा ने उसके लिए घर पर ही सितार सीखने के लिए एक गुरुजी बुलवा लिए।संगीत ने जैसे उसके बेरंगे जीवन में बहार ला दी थी।गुरुजी जो ज्यादा बड़ी उम्र के न थे वह उसके सितार वादन से मुग्ध थे।वे उसकी बहुत तारीफ़ करते।अम्मा भी उसका संगीत सुन बड़ी खुश होती।उस दिन सुबह अमित ने उसे बहुत पीटा।बेचारी का चेहरा लहूलुहान हो गया।शाम को उसका चेहरा देख गुरुजी सब समझ गए।उसने सितार बजाना शुरू किया।उस दिन ऐसी तान छेड़ी की सभी हतप्रभ हो गए।बजाते बजाते उसकी उँगलियाँ लहूलुहान हो गयी।गुरुजी ने उसका हाथ थामा और उसे गले लगा लिया।संगीत की शक्ति ने उन्हें बांध दिया था और कब वे शरीर से बंध गए उन्हें पता न चला।
होश आते ही वह हड़बड़ा के कमरे से बाहर आई तो अम्मा खड़ी थी।”माँ मुझे माफ़ कर दो माँ।पता नहीं मुझसे ये पाप कैसे हो गया।”वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
“यह पाप नहीं है पगली।यह प्रेम है…पवित्र,निर्मल।संगीत ने आज तुम्हे  प्रेम की अनुभूति कराई है।यह पाप नहीं।”अम्मा ने गले लगा लिया।
उस दिन के बाद से न गुरुजी आये न ही उसने सितार बजाया।तांडव उस दिन हुआ जब उसे उल्टियाँ होने लगी और डॉक्टर ने उसके माँ बनने की पुष्टि कर दी।अमित तेज़ाब लेकर खड़ा हो गया,”आज यह किस्सा यहीं खत्म कर दूंगा।माँ बनने की चाहत में सारी सीमाएं लाँघ गयी।”
तभी अम्मा ने जोर का थप्पड़ अमित के गाल पर जमाया,”काश यह थप्पड़ उस दिन मार दिया होता जिस दिन तूने इस पर पहली बार हाथ उठाया था।उसने कोई सीमा नहीं लांघी है।मैं साक्षी हूँ इस बात की।ये कहीं नहीं जाएगी।ये घर मेरे नाम पर है और मैं तुझे अपने घर से बेदखल करती हूँ।”अमित चला गया और….
“मम्मा आप आ गए।”अचानक स्वरा की आवाज़ उसे वापस ले आयी।कार से उतर कर उसने उसे गोदी में उठा लिया।अम्मा आई और हमेशा की तरह उसकी नज़र उतारी।
“इतना अच्छा संगीत न बजाया कर।जाने किस किस की नज़र लग जाती होगी।”कह उन्होंने उसका माथा चूम लिया।

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