Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

श्वेता प्रकाश कुकरेजा। (विधा : लघुकथा) (तो क्या | सम्मान-पत्र)

तोक्याहुआ

“उफ़्फ़, क्या लड़की है? एक माँ है जो रोज़ उगता सूरज देखती है और बेटी की सुबह गुजरते दिन के साथ होती है…या अल्लाह ,अब तू ही कुछ कर इस लड़की का! “समीना बी पर्दे हटाते हुए बोली।

“समीना बी,प्लीज लेट में स्लीप अ लिटिल मोर।“ चादर तानते हुए रिया बोली।
“कितनी दफ़े कहा है नानी बोला कर और ये अंग्रेज़ी में किट पिट न किया कर मुझसे।“

“जब अंग्रेज़ी नही बोलनी तो लंदन में क्यो बैठे है हम..चलिए चाँदनी चौक चलते है न” चादर फेंकते हुए रिया उछली।

बिस्तर पर बैठते हुए समीना बी ने कहा,”अब उन गलियों से कोई वास्ता नहीं हमारा बिटिया।“
“बी,आप माँ , दोनों इतना मिस करती हो इंडिया ..तो आप दोनों यहाँ आई क्यों….बताओ न बी।

“ताकि तुम्हे एक इज़्ज़त भरी जिंदगी…अच्छी तालीम दे सकें। तेरी माँ खुदा का फरिश्ता है।“
“जानती हूं बी….पर एडॉप्शन कोई जुर्म नही जो देश छोड़ के जाना पड़े…फिर क्यों आई माँ यहाँ?”आज तो जैसे ज़िद लेकर बैठ गई थी रिया।

“तुम इस बात से वाकिफ़ हो न कि वो तुम्हारी माँ नही है। तुम मेरी बेटी रुखसार की पैदाइश हो।वह तुम्हे अपना न सकी और अस्पताल में ही छोड़ चली गई।
तब तुम्हारी माँ जो वहाँ डॉक्टर थी ,तुम्हे गोद में ले मेरे पास आई….तुमारी नन्ही हथेलियों से इश्क़ हो गया था उसे…बोली क्या मैं इसे अपने साथ ले जाऊँ?”…मैं चुप रही…एक कुँवारी लड़की कैसे एक अनाथ को पाल सकती है…ज़माने को क्या जवाब देगी…कैसे बताएगी इसके वालिद के बारे में?
उसने बस तुम्हे कलेजे से लगाया और बोली आप चिंता न करे…चाहे तो आप भी मेरे साथ चल सकती है।

तुम हिन्दू होकर एक मुसलमान बच्ची को पनाह देना चाहती हो…और मुझ जैसी एक बेइज़्ज़त औरत को भी चलने को कह रही हो…. क्या डर नही लगता इस ज़माने से ?मैंने पूछा उससे।
तभी रिया बात काटते हुए बोली
“ तो क्या हुआ जो वो हिन्दू थी…..तो क्या हुआ अगर उन्होंने शादी नही की थी….तो क्या हुआ जो वो सिंगल पैरेंट बनना चाहती थी….सुष्मिता सेन…भी तो सिंगल फोस्टर पैरेंट है….दुनिया उनकी मिसाल देती है….तो क्या हुआ बी?” कंधे उचकाती रिया बोली।

“तो क्या हुआ…हिम्म…तो क्या हुआ….शायद तुम नहीं समझती एक वेश्या की नाजायज़ बेटी को अपनाना अपने लिए ज़िल्लत और तकलीफो के दरवाज़े खोलने के बराबर है।…तू कुछ नही समझती..चल अब”

“अब ये वैश्या क्या होता है….समीना बी की उर्दू उफ़्फ़… गूगल करके देखना पड़ेगा” ब्रुश थामते हुए रिया सोचने लगी।

© श्वेता प्रकाश कुकरेजा

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 1 / 5. Vote count: 9

No votes so far! Be the first to rate this post.

3 Comments on “श्वेता प्रकाश कुकरेजा। (विधा : लघुकथा) (तो क्या | सम्मान-पत्र)

Leave a Comment

×

Hello!

Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com

× How can I help you?