दादी नानी की अविस्मरणीय यादें
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
दादी-नानी की कहानियाँ सुनकर मेरे मन में एक अजीब सा
भाव आता है।दूसरों के मुँह से दादी-नानी के बारे में सुनकर मुझे उन सभी लोगों से रश्क होता है।आप जानना चाहेंगे ऐसा क्यों? आपको क्या बतायें क्योंकि आप यकी़न तो करने से रहे! हमने अपनी दादी-नानी के दीदार तो किये नहीं।उनकी कहानियाँ व क़िस्से अपनी माँ की ज़ुबानी सुने ।
बाद में अपनी माँ का दादी-नानी वाला स्नेहिल रूप देखा। अपने बच्चों को उनकी ममता के आँचल तले कहानी क़िस्से और लाड़ प्यार का आनंद उठाते देखा।जिसकी याद अब भी बिजली की चमक के जैसी रह-२ कर मेरे मन में कौंध जाती है।
जीवन के इस पड़ाव पर आज जब हम ख़ुद इस पद पर आसीन हुये तो पता चला कि इसकी तो लज़्जत ही कुछ और है।हमने भी अपने नाती पोतों को प्यार से गोद में उठाया, थपकी देकर लोरियाँ सुनाई हैं। उनको नसीहतें दी हैं, उनके साथ लूडो,कैरम तथा क्रिकेट व बैडमिंटन भी खेला है।कभी परियों की कहानी, कभी भूतों के क़िस्से सुनाये हैं।उनका मनपसंद खाना बना कर खिलाया है।
कड़े अनुशासन का पालन करवाते हुये एक अध्यापिका की तरह उनको पढ़ाया भी है। उनकी समस्यायें सुलझाई हैं।मेरा दादी-नानी वाला रूप पारंपरिक न होकर एक मॉडर्न स्मार्ट ग्रैनी का है। आप स्वयं ही निर्णय करें दादी नानी की यह कहानी कितनी रोचक है।
@रीता बधवार
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 0 / 5. Vote count: 0
No votes so far! Be the first to rate this post.