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रागिनी अतुल गुप्ता । (विधा :आलेख) (एक पैगाम पिता के नाम | प्रशंसा पत्र)

प्यारे पापा
बहुत सारी बातें थी ! जो मैं आपसे कभी कह नहीं पाई | मौका ही नहीं मिला | या फिर यह कहूं कि आपके थोड़े सख्त और अनुशासित व्यवहार की वजह से हमारे बीच सदैव एक दूरी रही | लेकिन यह भी तो सच है ना पापा ! वह दूरी सिर्फ बातचीत में रही | आपका प्यार ,स्नेह और आशीर्वाद हमेशा मेरे दिल के करीब रहा |
आपने हमेशा मुझे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया |अपने सारे शौक और इच्छाएं एक तरफ रख कर मुझे अच्छी शिक्षा दिलवाई |
जब मैंने कविताएं लिखना शुरू किया तब मेरी हर कविता आप बड़े ध्यान से सुना करते थे | और कहते थे “तुम लेखिका बनो नाम कमाओ”
और आज मैं लेखिका बन गई हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है | जानते हैं क्यों ?
क्योंकि इससे मुझे आपका सपना पूरा करने का एहसास मिलता है |
और आप आज भी वैसे ही उतने ही ध्यान से मेरी लिखी हर कविता और कहानी पढ़ते हैं |
मैं जानती हूँ आप हमेशा मेरे सबसे प्यारे प्रशंसक रहेंगे |
मैंने अपनी पसंद से शादी की |
आपने खुशी से स्वीकार लिया धूमधाम से मेरी शादी, मेरी पसंद से करवाई | जानती हूँ ! आपके दिल को तकलीफ हुई होगी |
लेकिन आपने कुछ नहीं कहा | आप खुश थे | उस दिन मुझे एहसास हो गया था कि जितने सख्त आप ऊपर से दिखते हैं , वास्तव में अंदर से एक बहुत ही नाजुक दिल पिता है !
चलो आज मौका मिला है तो एक और मजेदार बात आपको बताती हूं | बचपन में जब कभी आप मुझे डांट दिया करते थे | तो माँ मुझे एक किस्सा सुना कर मनाया करती थी |वह कहती थी कि , कैसे मुझे पहली बार देखकर आप खिल उठे थे ! मोहल्ले, रिश्तेदार ,परिचित सब को बार-बार बताते थे कि आप बेटी के पिता बन गए हैं | मेरी नन्ही उंगलियों से घंटों खेला करते थे |
और मुझे लगता था कि मां मुझे कोई कहानी सुनाती है |
जब मैं पहली बार माँ बनी ,और मैंने बेटी को जन्म दिया |
उस दिन आपकी खुशी देख कर मुझे माँ की वह कहानी याद आ गई |
मैंने आपके चेहरे पर वही खुशी देखी जिसके बारे में माँ बात किया करती थी | और मैं समझ गई कि वह कहानी नहीं थी | एक सच था |
लगा जैसे आप पहली बार पिता बनने के एहसास को फिर से जी रहे थे | जानती हूं मेरा यह लेख पढ़कर आपकी आंखे नम हो हिंदी लेकिन यह भी जानती हूँ कि आपका प्यार मेरे लिए कभी कम नहीं होगा |
आपकी बेटी

स्वलिखित ,अप्रकाशित
रागिनी अतुल गुप्ता

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