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रश्मि राठी। (विधा : कविता) (मेरा पहला प्यार | सम्मान पत्र)

उनसे नज़रें क्या मिली , जैसे प्यार की इजाज़त मिल गई ,

सुध-बुध खो बैठी , लगा, जन्नत मुझे मिल गई ।

पंख लग गए मानो मुझे , सपनों की दुनिया में खोती गई ,

हौले से जब उसने छूआ मुझे ,,

सिरहन सी बदन में दौड़ गई ‌।

मेरा पहला प्यार था वो , कब और कैसे हुआ पता नहीं ,

नहीं भूल पाएंगे , उसके साथ बिताए लम्हों की यादें ज़हन में बैठ गई ।

कितनी शिद्दत से जीता है प्यार में ये दिल ,

उस प्यार के लिए जीना मरना सीख गई ।

पहले प्यार का पहला तोहफा , बड़ा अच्छे से सहेज कर रखा है ,

अब तो बस उसकी यादें बाकी रह गई ।

प्यार की कीमत तो प्यार करने वाले ही जानते हैं ,

उसके साथ , उसके स्पर्श से जिंदगी बिल्कुल बदल गई।

खुशनसीब होते हैं जिन्हें पहले प्यार का साथ हमेशा के लिए मिल जाता है ,

जिन्हें नहीं मिला , उनकी दुनिया बदल गई।

स्वरचित

रश्मि राठी

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