यूँ जमाने को कभी दिखता नहीं ,
वो छुपा सा आइना दिखता नहीं ।
रात दिन ये सोचता होगा कहीं ,
दर्द ये मेरा कभी सोता नहीं ।
आपने जब बोलते रहते सभी ,
दुश्मनों का तीर तो चुकता नहीं ।
है जमाना यूँ ज़रा छोटा सही ,
फासला देखों कभी घटता नहीँ ।
दूर से ही देख लेता हूँ तुझे ,
यूँ खुदा तो राह में मिलता नहीँ ।
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