आंखों की झरोंकों से आंसू ऐसे झांकते,
भीगी पलकों पर जैसे मोती चमकतें।
कभी पलकों में घिर आएं ऐसे
काली बदरी से जीवन बरसे।
मन पर चले वेदनाओं की आरी,
पलकों में उभरें आंसुओं की सवारी।
मन पर छाएं जब भावनाओं की धुंद,
पलकों पर आंसू बने ओंस की बूंद।
जिम्मेदारीयों की ओट में मीटें,
आंसू सूख जाते पलकों के पीछे।
मन की गहराईयों में उतरे स्वरों से ,
आंसू छलके आंखों की कोर से।
एकांत में पिएं अगर भक्तिरस,
अधखुली पलकों से मोती छलकते अविरत।
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