भीगी भीगी पलको से,थे जो सपने सजाये !
जब आँख खुली तो ,बहुत ही दूर थे पाये !
सपने भी सपने होते हैं ,ये कहां अपने होते हैं !
हर ख्वाब हो जाता है ,जब बेगाना !
फिर ज़िन्दगी मे ,क्या खौना क्या हे पाना !
पलको के किनारे ,जब भी भीग जायें !
तब दिल मे पलते हैं ,दर्द के साये !
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