प्यासी आंखें हमेशा सोखें।
तब भी आंखें हमेशा प्यासा ही दिखें।
कभी लालच हैं इनके पुरानी स्मृतियां,
कभी लालच हैं किसी पुरानी अनुभूतियां।
मन में हो उद्गार या हो अंधकार,
किसी की आने का अगर हो इंतजार,
कानों में गुंजें किसी की आहट, पुकार,
भीग जाते हैं ये पलकें बार-बार।
जो दर्द छुपाये भी न छुपते,
चुपके से आ कर पलकें भीगा जातें,
ऐसे कोई बातें अगर बीच में छेड़ गयीं,
अगर कोई बात दिल को छु गयीं,
आंसू टपकने से पहले पलकें झपकें,
चुपके से अश्कें आ के पलकें भीगा जातें।
अगर कोई पुछें तो, दर्द के बारे,
भीगी आंचल बताती है किस्से सारे।
भीगी पलकें छुपातीं,कुछ न बतातीं।
हमेशा पलकों में आंसू रोक लेतीं।
सुन्दरता की एक और मिशाल जो निकला,
पलकें अपने आपको कर लेते हैं जो गिला,
हृदय अगर फटे,तो मुंह भी न फिटे,
भीगी पलकें जो आंसूओं को ऐसे जो लपेटें,
दर्द भी आ जाता है छल कपटों की चपेटे,
पलकों का तो आंसू हैं पालतू,
दर्द का ही मंजर,बिन भीगे जीन्देगी शायद लगे फालतू!
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