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अलका शुक्ला। (विधा : कविता) (जीवन – आनंद | सम्मान पत्र)

अभी दस दिन पहले मेरी नातिन हुयी. अपने बच्चों की पैदाईश भर याद रही लालन पालन व कर्तव्य निर्वहन में ध्यान हि नही रहा सब कब बडेहुये आज अपनी सडसठ साल की उमर मे पैंतालसवी सालगिरह पर जन्मदिन परमुझे ये सौगात मिली उसकी हरकत व हाव भाव के आनंद को शब्दों मे बांधने की कोशिश।

मन नाच उठा.

मयूर बन.।

कृति ईश की

अचंभिता सी.

निहारती अपलक.

चारों ओर.

मृगनयनी सी।

दौडता मन.

कहां आ गयी।

कैसा होगा जीवन

जन्मदात्री की मुस्कान

पहचानती जनक के भाव.

संतुष्टि के भाव चेहरे पे

चुप चाप अवलोकित

ये नवांकुर ।

हर्षित मन आंगन

आनंदित धरा गगन.!

उल्लासित खुशबू हर ओर

सदा देना प्रभु इन्हें खुशियों की भोर.

आपके अनुग्रह प्यार की अनुगूंज का.

सदा रहे ओरछोर!

अलका शुक्ला।

 

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