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अनामिका जोशी “आस्था” ( चक्का जाम प्रतियोगिता)

वर्षों के अथक परिश्रम का,
आज परिणाम आया था ।
पढ़ा जब समाचार-पत्र,
नौकरी में चयन पाया था ।
बांछें खिल गई जब,
साक्षात्कार का बुलावा आया था ।
तैयार हुए हम झटपट यूँ ,
और एक मोटर कार को बुलाया था। अरे! कहीं कुछ छूटा तो नहीं !
बार-बार यही ख्याल आया था ।
अरे ! अभी तो समय बहुत है ,
कहकर मित्र ने रोका था।
पर गाड़ियों से भरी सड़कों को देखकर, जी मेरा घबराया था ।
चींटियों सी रेंगती गाड़ियों के बीच, बार-बार दिल दहल उठा था।
मोटरों की पों-पों ने ,
सड़कों पर भारी शोर मचाया था।
बजते होर्न और लड़ती जनता,
देख-देख पसीना छूटा था।
हाथ घड़ी देखी तो दिमाग चकरा गया था,
ऑफिस पहुंचने की समय-सीमा से भी अधिक
समय हमने लगाया था।
देखो आज फिर चक्का-जाम ने ,
एक आम सपने को लील लिया था।

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