आज ही चांँद को गली में अपने बुला लेते हैं
संग खिली चांँदनी हम भी खिलखिला लेते हैं
नग़्में बिखरे हैं इस मौसम- ए -बहार में हर ओर
आज लफ़्ज़ सजा लेते हैं कोई गीत बना लेते हैं
चुनते हैं आज फिर से ओस के मोतियों को हम
चलो फिर से बारिशों संग थोड़ा गुनगुना लेते हैं
कल की ख़बर है किसको दोस्तों सोचना क्या है
बाग़ों में रूठी तितलियों को फिर से बुला लेते हैं
क्यूँ करना है इंतेज़ार “हिना”ईद और होली का
मिल के गले दोस्तों के ईद आज ही मना लेते हैं
हिना शाइस्ता
Thanks team ubi
Thanks team ubi