पापा मैं तेरे बगियाँ की कोमल कली
मुझे भी इस दुनियाँ में खिलने दो
मत मारो मुझे कोख में
मुझे भी सपनो की उड़ान भरने दो
जानती हूँ नही बोझ आप पर
मेरी शिक्षा का मेरी शादी का
बस डर हैं आपको समाज के दरिंदे भेड़ियों का
कही उनकी शिकार आपकी कोमल कली भी हो न जाये
दामिनी कठुआ ट्विंकल में भी
मेरा नाम आ न जायें
मत डरो पापा आप
मुझे बस इस काबिल तुम बना देना
चूल्ला चौका रोटी कपड़ा भले ही
मत सिखाना
बचा पाउ खुद को इन दरिन्दों से
ऐसे आत्मरक्षा के गुर सिखा देना
फिर देखना कैसे ये कली बेख़ौफ़
होकर आसमान में उड़न भरेगी
और इस जहां में एक चमकता सितारा बनेगी..।
सरिता पारीक