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सरिता तिवाड़ी (पारीक) (विधा : लघु कथा) (न्याय | प्रशंसा पत्र)

 

मेघना अपने मम्मी पापा की इकलौती सन्तान हमेशा हमेशा पढ़ाई में अवल्ल रहने वाली सुंदर सुशील बच्ची हैं । पढ़ाई के साथ साथ नृत्यकला में भी निपुण ।एक बार कॉलेज के एक प्रोग्राम में उसकी प्रतिभा व प्रस्तुति से प्रभावित होकर शहर के जाने माने रहीश खानदान का रिश्ता गया उसके माता पिता के पास। अपनी बेटी के लिए बड़े घर का रिश्ता देख बहुत खुश हुए और लड़के लडकी की रजामंदी से रिश्ता तय हो गया। निर्धारित समय पर शादी भी हो गई । पर शादी के बाद मेघना को पता चला कि इन बड़े लोगो का दिल और दिमाग बहुत छोटा हैं । वो आये दिन उसे दहेज के लिए शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने लगें । एक साधारण परिवार कब तक उनकी मांगों को पूरा करता । परेशान होकर मेधना ने दहेज का मुकदमा चलाया पर कहते हैं गवाह खरीदे जाते है और बेचे जाते हैं । वह मुकदमा हार गई … पर वो लोग अब भी अपनी हरकतों से बाज नही आये। तो मेघना ने तलाक का कह दिया । शादी के 2 साल में  उसने जो यातनाएं सहन की उससे वो अपने आप को हर हाल में सम्भालने के लिए मजबूत हो गई थी अब उसे किसी के सहयोग की जरूरत नही थी। मेधना के ससुराल वाले तैयार हो गए तलाक के लिए क्योंकि उन्होंने समझ लिया अब यहाँ कुछ नही मिलने वाला । 6 माह की कानूनी प्रकिया से उसका तलाक हो गया। अब मेघना ने जिंदगी को एक नया मोड़ दिया । उसने वकालत की पढ़ाई की ओर एक महिलाओं की मदद के लिए “नारी सहायता केन्द्र ” खोला । और प्रताड़ित बहनों के लिए निःशुल्क मुकदमा लड़तीं । और उन्हें न्याय दिलाती । उसके इस सहरानीय प्रयास से वो शहर की जानी मानी वकील बन गई और और इन सब कार्यो में कुछ दानदाता भी बहनों के लिए मदद करते । एक दिन सुबह उसने मोबाइल ऑन किया तो एक वीडियो वायरल था जिसमे एक औरत मदद की गुहार लगा रही थी । उसे सुसराल वाले परेशान करते थे । उसके दिये गए नम्बर पर उसने बात की ओर वहां जाकर उंनसे मिली ।15 साल बाद जिन लोगों से मिली वो वही लोग थे जिन्होंने मेघना को परेशान किया । ये औरत उसकी ननद थी । पर घर दूसरा होने का कारण जब मेघना ने जानना चाहा तो बताया कि ससुराल वालों की मांगे पूरी करते करते वो घर भी बिक गया । अब बिना पैसे कोई वकील भी मुकदमा लड़ने को तैयार नही हैं । मेघना ने जो प्रतिज्ञा ली थी प्रताड़ित बहनों की मदद करने की अब उसकी परीक्षा की घड़ी थी एक तरफ वो लोग जिन्होंने मेधना की जिंदगी बदल दी । 

दूसरी तरफ एक अबला जो सहायता की गुहार कर रही हैं ।  पर मेघना ने बीती बातों को भूल अपनें फर्ज का पूरा किया और उस केश को लड़कर उसकी पूर्ण रूप से मदद की तथा दोषियों को उनके कर्मों की सजा दिलवाई । कोर्ट से बाहर निकलते ही मेघना का पूर्व पति और सास उससे माफी मांगने लगे और कहने लगे हमने तुम्हारे साथ बहुत बड़ा अन्याय किया । हमे भगवान तो माफ नही करेगा पर तुम तो कर दो ।मेघना ने बड़े ही गम्भीर स्वर में कहा आप लोग मेरे लिए अब मात्र इस शहर के रहने वाले हो और रही बात अन्याय की तो मेरे साथ देश की अदालत ने भले ही न्याय ना किया हो पर भगवान ने आज मेरे साथ न्याय कर दिया जो पीड़ा दर्द मैंने महसूस किया उंससे आप लोगो को भी अहसास करवाया दिया कि दर्द क्या होता हैं । मैंने अपना फर्ज निभाया हैं एक बहन को न्याय दिलाया हैं । और एक मुस्कान के साथ वहाँ से निकल गई। 

 

सरिता तिवाड़ी (पारीक)

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