Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

ललिता वैतीश्वरन (विधा : सत्य कथा ) (चलती रहे ज़िंदगी | प्रशंसा पत्र )

(इस कथा में पात्र का नाम बदल दिया गया है)

चलती रहे ज़िन्दगी
न रुकना ही ज़िन्दगी है ..और सलाम उस ज़िन्दगी से जूझने वाले को…
सुरेखा और मैं एक ही कक्षा में थे .उसका पूरा नाम था सुरेखा ठाकुर .हम दोनो पक्की सहेलियां थीं .दोनो में ज़मीन आसमान का अंतर ..वह चुप गंभीर …और मैं सिर्फ हँसी मज़ाक …
उसकी माँ एक अध्यापिका थी .उससे मिलने सायकिल पर आती ..सुरेखा को तब भी मैने मुस्कराते नहीं देखा था …मैं पूछती ..सुरेखा तेरी माँ आयी है फिर भी तू खुश नहीं ?..वह कोई जवाब न देती …
उसकी एक छोटी बहन भी थी …उसी स्कूल में जिसे वह बड़े लाड़ से जा कर मिलती थी …
आठवीं में उसने अपना नाम सुरेखा ठाकुर से सुरेखा राजन कर दिया …हम लोगों के बाल सुलभ मन को नाम बदलने के मायने समझ ही न आये …

नवीं कक्षा में एक दिन सुबह स्कूल में बहुत ही
दुखद समाचार आया …सुरेखा की माँ का आग से जलने से देहांत हो गया …मुझसे लिपट कर
वह बहुत रोयी थी …

खबरों का अम्बार उड़ने लगा …
उसकी माँ ने आत्म हत्या नहीं की थी …बल्की उन्हे उनके नए पति ने जलाया था …और तब यह खबर भी उड़ी कि ये व्यक्ति सुरेखा के पिता नहीं थे ….
उस वक़्त हम इन सभी बातों को कभी समझ ही न पाये ..

सुरेखा पढ़ने में औसत ही थी .देखते ही देखते नवीं के अंत में कक्षा में हमेशा अव्वल या फिर दूसरे नम्बर पर होती …

12th में हम दोनो ने PMT दिया …मेरा दाखिला हुआ किंतु उसका नहीं …मुझसे लिपट कर फिर रोयी …मैने भी उसे बहुत ढ़ाढस बन्धाया और अपने notes दिये …

अगले बरस मेरे ही कॉलेज में उसका दाखिला हुआ….और उसने post graduation भी किया ….शादी की ..और दोनो बच्चे आज Medical College में हैं ….
वह खुद एक बहुत ही प्रख्यात डॉक्टर है …
चलती रहे ज़िन्दगी ….तुझे सलाम !
©️ललिता वैतीश्वरन

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 1 / 5. Vote count: 7

No votes so far! Be the first to rate this post.

Leave a Comment

×

Hello!

Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com

× How can I help you?