पंखों पर सवार जब सपना
पहुँचा नीले आसमान पर
इन्द्रधनुषी रंग समेटे वह
थिरकता रहा उस नए जहाँ पर
एक नये युग की कल्पना का अंकुर
बो आया वो उस संसार में
न जात धर्म ,न कोई बंधन
न हो नफरत की मिलावट अब प्यार में
लड़की होने के गम में अब न कोई गुड़िया रोये
आतन्क का हो,अंत ..सरहद चैन की नींद सोये
न भूखा प्यासा हो कोई ,न हो ईर्ष्या की आग
संवेदना, दया , निश्छल प्रेम हो अब हर ह्रदय में जाग !!
काश मेरे इस सपने को वास्त्विकता का रुप मिले
सपना निद्रा की गोद से उठे और यथार्थ में उठ खिले !!
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