भाषाएँ वाहक है सम्वेदनाओं की
प्रसारक है अनुभूतियों की
भाषक है भावनाओं की
शब्दों और वाक्यों के माध्यम से
भाव भरती है
सोचते हैं हम पर
भाषाएं सम्वाद करती है
बहुत लम्बा सफर तय किया है
सदियों से प्रगति औ विकास किया है
परिष्कृत औ सरल हो होकर
अपना स्वरूप सर्वसुलभ किया है
भाषा ही शैक्षिक उन्नति का स्वप्न साकार करती है
सोचते हैं हम पर
भाषाएं सम्वाद करती है
अलग अलग भाव है
भिन्न भिन्न लिपियाँ
हर एक भेद में भी
एक है सम्प्रेषणा
कितने ही भाव हो
कितने ही हो भेद
करुणा प्रेम प्रीत की भाषा
सबसे है नेक
जब ये हृदयों पर सेतु बनाती है
कुछ और की आवश्यकता नहीं रह जाती है
मौन के साथ भी अपनी बात कहते हैं
हर भाषा से बढ़कर
मनोभाव स्वयं सम्वाद करते हैं।
भावना शर्मा
भावना शर्मा। (विधा : कविता) (भाषा | सम्मान पत्र)
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