देखी ••• ?
जंगल की उन्मुक्त भोर
जिसमें असंख्य हैं आवाजें
पर नहीं कोलाहल या शोर.. !
जिसमें है जीवन का जीवंत चित्र
जिसमें है प्राकृतिक ओस का इत्र..!
सुना ••• ?
पंछियों का पावन गीत
निनादित हो रहा ओंकार का संगीत
मनुष्य कहां खो गया मेरे मीत ?
इन शहरों में..
जहां मनों में रहती है
सिर्फ जीत और जीत..!
देखकर ऐसा अद्भुत जंगल
उठता है हृदय में ये भाव मंगल
कि काश •••
मनुष्य के हृदय में भी हो ऐसी हरियाली
ऐसी जीवंतता और सच्ची खुशहाली
मनुष्य के जीवन में भी हो कोई ऐसी भोर
कि मुदित हो जाये हर मन का मोर•• !!