यह अंधेरा काला स्याह
इंतजार किसी के लिए, तो कहीं डर का आगाज
कहीं सुबह के पहले की उदासी, तो कहीं सूने मकान में रोज का रहवासी
किसी के लिए रुकते कदम,
तो कहीं दौड़ कर पहली किरण को पकड़ने की जद्दोजहद
कहीं करवटों का लंबा सफर, तो कहीं सुकून से भरा घर
यह अंधेरा
चांद की ओट में सनी चांदनी में नहाने को बेताब शमा के लिए, लज्जित,कसमसाती, मिलन को तड़पती
उस अधूरी नक्काशी को
उम्मीद है यह अंधेरा
उसके पूर्णत्व को आकार
और सृजन का आरंभ
यह अंधेरा
कहीं बिलखती दर्द से तड़पती
उस मासूम के लिए सजा
अपने बर्बर अंत पर, बदहवास, कोसती दरिंदों को
जो बिना किसी पाप के उनका शिकार हुई
उस शरीर के लिए श्राप है
यह अंधेरा
जवाब मांगती उसकी आखिरी सांसों को
खामोश धक्का
और उसके जलते शरीर का साक्षी है
यह अंधेरा
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating 1 / 5. Vote count: 4
No votes so far! Be the first to rate this post.
2 Comments on “पूनम डागा (अँधेरा प्रतियोगिता | उभरते सितारे )”
what a meaningful writing.
Not have come across ever description of ” Andhera ” better than this.
superb….excellent..
Thankyou