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नरेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव ( चक्का जाम प्रतियोगिता)

हो हल्ला कोहराम मचा है
फिर घंटों से जाम लगा है ।

नाजायज कब्जे हैं जारी
आहत जनता है बेचारी ।

तिल भर रखने जगह नहीं है
रोज जाम की वजह नहीं है ।

जलसे और तमाशे होंगे
नित नए झंडे नारे होंगे ।

या फिर पुलिया टूटी होगी
नेताजी की रैली होगी ।ः

जाम रोज का किस्सा है
हर दिल मे एक गुस्सा है ।

बांध सब्र का टूट रहा है
सारा सिस्टम लूट रहा है ।

भेंट, कमीशन, हिस्सेदारी
सब कानूनों पर है भारी ।

जिसको इसमे अर्थ (?) दिखेगा
तब ही कोई हल निकलेगा ।

जिसके खीसे मे दम होगा
उसका ही तो बिल निकलेगा ।

सबको अपने से मतलब है,
बाकी सरोकार नहीं है,

जनता से लेकर शासन तक,
कोई जिम्मेदार नहीं है ।

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