- तोक्या!
अगर शहर छोटा है मेरा
तंग गलियों में आशियाने यहां भी है
नहीं अगर इमारतें गगनचुंबी
वो मिलो मील खुले आसमान यहां भी है
तो क्या!
अगर चमकती रंगीन राते नहीं
चमकती मुस्कान लिए लोगों की भीड़ यहां भी है
मौसमी और मतलब परस्त प्यार ना सही
वो आशिकों के महखाने यहां भी है
तो क्या!
जो ऊंची मंजिलें या लंबी उड़ानों के काफिले नहीं
छोटे-छोटे ख्वाबों से भरे जवान यहां भी है
हर हुनर को सिखाने के इंतजाम ना सही
वह चौराहों पर बेफिक्र खेलते तूफान यहां भी है
तो क्या!
लंबे रास्तों पर खूबसूरत मकान यहां नहीं
कुछ दूरी पर रहने वाले करीबी पड़ोस यहां भी है
अगर काबिलियत दिखाने के साजो सामान ना सही
वो गुणों की खान वो आलिम यहां भी है!डॉ. पूनम डागा
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