1 बर्फीली शाम
लग जा गले कभी
उनके नाम ।।
2 चाँदी – सी बूंदें
बिखरी हैं हर सू
आओ तो छू लें। ।
3 मन समाया
रूप तेरा छलावा
गज़ब पाया ।।
4 शोख़ वादियां
करती चुगलियां
छुप- छुप के ।।
5 चारों तरफ
फैला बर्फीला साया
हाथ न आया ।।।।
डा संगीता श्रीवास्तव। (विधा : हाइकू) (बर्फीली शामें | प्रशंसा पत्र)
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