दूर बर्फीली वादियों से बारहसिंगा से चलती गाड़ी में आया
क्रिसमस का त्योहार मनाने हंसमुख सफ़ेद दाढ़ी वाला आया
लाल कोट सुशोभित जिंगल गाता सांता घर घर आया
ग़म के बादल छाँट कर हौसले की उड़ान भरवाने आया
सांता आया सांता आया झोले में अनमोल उपहार लाया
करोना ने जो ख़ुशियाँ छीन कर सब पर जो था क़हर ढाया
ख़ुशियों की सौग़ात बाँट कर सबको अच्छे दिन लौटाने आया
मन में नई उमंग और जोश भर कर ख़ुशहाली फैलाने आया
उम्मीद के दीपक जलाकर आशा की किरण जलाने आया
सांता आया सांता आया ……..
एक अर्से से कफ़स में बंद पड़े थे खुली हवा वापिस करने आया
चार दीवारी की क़ैद को खुला आसमान सब को दिखाने आया
आशा के दीप जला कर वो ख़ुशियों का कारवाँ बढ़ाने आया
बुरा वक़्त रेत की तरह फिसलाकर अच्छे में तब्दील करने आया
सांता आया सांता आया ………
गिरजाघर में गूंजती घंटियों में यीशु के जन्म की बधाई देने आया
येशु का आशीर्वाद बना रहे सब पर ये मंगल कामना करने आया
आत्म-विश्वास जगा कर आँखों में बसे सपनों को सच करने आया
रोग मुक्त सुखमय जीवन बना रहे जग में यीशु से दुआ करने आया
सांता आया सांता आया ………
डा॰ अपर्णा प्रधान
मेरे शब्द मेरी पहचान
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गोआ
31/12/20
डा. अपर्णा प्रधान। (विधा : गीत) (क्रिसमस की उमंग | सम्मान पत्र )
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अति उत्तम अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
Thank you