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कृष्णा बुडाकोटी। (विधा : कविता) (मेरा देश मेरा अभिमान | प्रशंसा पत्र)

राम,कृष्ण और शिव की धरती अपनी ,
बुद्ध, नानक और गौतम की धरती अपनी।
यहाँ जन्मे गुरु वाल्मीकि, वशिष्ठ,तुलसी महान,
गर्व से कहो, मेरा देश , मेरा अभिमान।।

सनातन धर्म और संस्कृति का परिचायक है ,
जो दिशा दिखाए औरों को वो नायक है ।
जहाँ साथ पढ़ी जाती है गीता और कुरान ,
गर्व से कहो , मेरा देश , मेरा अभिमान।।

जिस धरती पर नारी को पूजा जाता है ,
भाई- बहन का त्योहार मनाया जाता है।
जहाँ पूजते सूर्य ,वृक्ष, चंद्र हो जैसे भगवान,
गर्व से कहो , मेरा देश , मेरा अभिमान।।

जिस भारत- भूमि को धरती माँ कहते ,
जिसकी लाज बचाने को हर दुःख सहते।
जिसकी रक्षा को कर देते सर्वस्व बलिदान,
गर्व से कहो , मेरा देश ,मेरा अभिमान।।

जिसकी माटी की धूल लगाते हैं दीवाने,
जिसकी खातिर मर – मिट जाते हैं परवाने,
सर कटा कर भी रखते तिरंगे का मान ,
गर्व से कहो , मेरा देश , मेरा अभिमान।।

उत्तर में शीषमुकुट है हिमालय विशाल,
दक्षिण में चरणों को धोता सागर अपार।
और मध्य में गंगा ,यमुना,सरस्वती महान,
गर्व से कहो , मेरा देश ,मेरा अभिमान।।

सर्वाधिकार सुरक्षित@ कृष्णा बुडाकोटी

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