अभिलाषा ने करवट बदली
1 अभिलाषा ने करवट बदली, ली है अंगड़ाई पीड़ा ने । नया राग फिर छेड़ा कोई, मेरे मन की वीणा ने ।। 2 अस्ताचल में
1 अभिलाषा ने करवट बदली, ली है अंगड़ाई पीड़ा ने । नया राग फिर छेड़ा कोई, मेरे मन की वीणा ने ।। 2 अस्ताचल में
अश्रु-विगलित रमणी का करुणा से भरा व मार्मिक गीत लिखने का प्रयास। विदा का मार्मिक दृश्य दर्शाता। जब दरवाज़े पर मृत्युदाता का बुलावा आ जाता
ग़ज़ल हर आशिक जैसा अपना भी अंजाम हो गया। पाकीज़ा मोहब्बत का क़त्ल फिर, सरेआम हो गया।। हल्की सी वो छुवन आज भी सिहरन पैदा
तन पर भस्म रमा कर, बालों की फिर जटा बनाई। आह्वान कर संगीत का, शिव चले ब्याहने पार्वती माई।। कण – कण नृत्य मग्न हुआ,
बरबस खिंचा जाए मन, पहन प्रेम का चोला। एक हृदय मन चुम्बक है, एक हृदय मन लोहा।। आँखे देख न पाएँ, मन, पंख लगा उड़
न जाने। क्यों वो शख़्स, दिल में समा गया। जागें वो मेरे ख़्वाबों में, जहन पे छा गया।। न इकरार न इंनकार, न तकरार न
हृदय की गहराईयों से आत्मा की ऊँचाइयों से बहता हुआ भावनाओं का इत्र जब बनाता है कागज की जमीन पर अनगिनत शब्द चित्र तब बनती
📚📓📒📕📖📄📝 अद्भुत अस्त्र-शस्त्र हैं ये। बिन बहाये,रक्त की एक बूंद भी। कर सकती हैं, घायल ये। डुबा-डुबा कर ज़िन्दा रखने का हुनर भी। बखूबी जानती
एक पंथ दो काज उमर जी़ना-जी़ना बढ़ रही है। ख़ामोश, संपूर्ण सन्नाटे में, छन-छन का शोर पसरा हुआ, और आँखे बिल्कुल पत्थर की भाँति स्थिर,
जन्मे थे क्यों श्री राम? इस रामनवमी पर, मन में एक प्रश्न उभरता है! जन्मे थे क्यों श्री राम? परमपिता मानव क्यों बनता है! आप
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