हे स्त्री!
हे स्त्री! …………. हे स्त्री! मत सोच कि जमाना क्या कहता है? वहीं कर जो तुम्हारा दिल कहता है.. कहते हैं जब तुझे निर्बल, तब
हे स्त्री! …………. हे स्त्री! मत सोच कि जमाना क्या कहता है? वहीं कर जो तुम्हारा दिल कहता है.. कहते हैं जब तुझे निर्बल, तब
इतिहास इतिहास गवाह है बल – बुद्धि मिलकर विजय गीत लिखती है, चाणक्य की बुद्धि, चंद्रगुप्त की वीरता से मौर्य साम्राज्य की नींव पड़ती है।
Let’s make a difference! Manpower without unity is not a strength unless it’s harmonised and united properly..! Fasting groups of intelligence and embracing a common
जब चारो ओर तन्हाई हो ना जाने क्यूं तब शाम की उदासी में मेरी भी उदासी घुल घुल जाती है दिल में विचारों की तब
ऐ दिले नादान क्यूं चाहता है ख्वाहिशें सब पूरी हों तेरी गर दो चार रह जाएंगी अधूरी सच कहूं, जिन्दगी से तब भी मुझे कोई
जिंदगी हमारी भी सुख और दुख में ढलती और बदलती कभी दुखों भरी अंधेरी अमावस की रात कभी सुखों की रात पूर्णिमा की चांदनी से
Ek pal ko jhagadte the agle hi pal fir mil jate the hum Jhuti muti ka gussa karte the fir ek duje ko manate the
Aaina main dekhu to mujh mein kahi teri chavi dikhti hai Maa, Jaane anjaane jaane kitni hi baatein tujhse meri milti hai Maa. Kabhi ruthna
Ab kahani raja-rani ki koi sunata nahi Kaha rehti hai pariyaan koi batata nahi Bistar jagta rehta hai ab pehro raat bhar Ab koi loori
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