Paper Boat निशा टंडन। (विधा : उद्धरण) (कागज़ की कश्ती | सम्मान पत्र) जीवन काग़ज़ की कश्ती सा है, नश्वर, कभी बीच मझधार डूब जाता है तो कभी अपना साहिल पा लेता है। Read More » June 28, 2021 No Comments
Paper Boat निशा टंडन। (विधा : कविता) (कागज़ की कश्ती | सम्मान पत्र) मासूमियत भरा था वो बचपन हमारा खेल खिलौनों का नहीं था हमको सहारा बस आसमान ऊपर और नीचे धरा थी और फ़िक्र नाम की ना Read More » June 28, 2021 No Comments