मधुरा लडकत (UBI भीगी पलकें प्रतियोगिता | प्रशंसा पत्र (कविता))
आंखों की झरोंकों से आंसू ऐसे झांकते, भीगी पलकों पर जैसे मोती चमकतें। कभी पलकों में घिर आएं ऐसे काली बदरी से जीवन बरसे। मन
आंखों की झरोंकों से आंसू ऐसे झांकते, भीगी पलकों पर जैसे मोती चमकतें। कभी पलकों में घिर आएं ऐसे काली बदरी से जीवन बरसे। मन
आनंद पूरित ख़ुशी का अतिरेक हो या फिर किसी ग़म का भावावेश हो , दोनों ही सूरतों में नयनों में अश्रुओ के बाँध को रोक
मेरे प्रिय आत्मन.. भीगी पलकें.. अश्रुपूरित नैन.. आंसुओं की बूंदें जो बरबस छलक जाती आंखों से.. या कभी ठहर जाती पलकों के परदे में.. कितनी
घर की दहलीज पर कुर्सी पर बैठे हुए देखा उसे,बस एकटक देखता ही रह गया!! बरसों बाद देखा उसे बदले रूप में सपाट चेहरा सूनी
प्यासी आंखें हमेशा सोखें। तब भी आंखें हमेशा प्यासा ही दिखें। कभी लालच हैं इनके पुरानी स्मृतियां, कभी लालच हैं किसी पुरानी अनुभूतियां। मन में
भीगी भीगी पलको से,थे जो सपने सजाये ! जब आँख खुली तो ,बहुत ही दूर थे पाये ! सपने भी सपने होते हैं ,ये कहां
भीगी पलकें थी क्यूंकि विदाई की घडी थी बाबुल का घर छोड़ पिया संग मैं चली थी । वोह खुशनुमा माहौल था हर तरफ खुशियों
UBI साप्ताहिक प्रतियोगिता हिंदी #१८ भीगी पलकें में प्रस्तुत कविता कभी तेरे प्यार में भीगीं पलकें कभी तेरे इकरार में भीगीं पलकें बस राह पर
बंद रही पलकें उसकी बहते रहे फिर आँसू उसके. . थामा दामन फिर उड़ गया टूट गये सारे सपने उसके . . . अब जो
Teary Eyes Mr. Berry, a poet and an author who generally inks on soft but judicious collocation based on emotions. He is also a lover
UBI stands for United By Ink®️. UBI is a Global Platform- the real-time social media interactive forum created for Readers, Writers and Facilitators alike.This platform aims to help creative souls realize their writing goals.
Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com