Diwali Special- Firecrackers in Heart
हमीदा हकीम। (विधा : कविता) ( मन के पटाखे | सम्मान पत्र)
आँगन में रंगोली, मुंडेर पे जलते दिये जगमगा रहे थे अमावस की रात में, उजालों की महफ़िल सजा रहे थे सन्नाटों को पटाखों ने बिचका
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