Nisha Tandon (Category-Quote) (Digital Friends | Certificate of Appreciation)
When you meet your own tribe and despite no physical proximity, there is an instant connect with the soul.
When you meet your own tribe and despite no physical proximity, there is an instant connect with the soul.
Met online by chance Connection was so instant Became loving friends Talked to each other Shared concerns and our worries That relaxed the mind Like
She is counting few last breath of her life in an ICU of a covid hospital. Relatives, friends, acquaintances, none are allowed to stand by
Information Highway These days my eyes look for ‘Typing’ Cause that’s the only way to talk All of us are measuring the corners No
“काग़ज़ की कश्ती”है तो क्या ? सम्भाल कर रखना,हे दोस्तों , यादों का परवाना,तलातुम का सहारा यह काग़ज़ की कश्ती,बचपन का ख़ज़ाना। याद है वो ज़माना पन्ना जो किताब का,खिलोना बरसात का, काग़ज़ की कश्ती,हिसाब था। वो बारिश की बूँदे,मेघों का बरसना छप छप करते,पानी में खेलना काग़ज़ की कश्ती को धकेलना पानी में छप छपाते,पाँव रखना, चंचल था मन, हँसना और हँसाना, कभी न भुलाना,काग़ज़ की कश्ती, बचपन का ख़ज़ाना! धुंधली न करना,वो यादें, गलियों और चोबारों के नाते आकाश में टिम टिमाते तारों से बातें, बरसाती फुहारों के दिन और रातें, बादलों में छिप कर आते, बारिश की बूँदों के मोती, जल की धारा संग, इठलाते और लहराते, काग़ज़ की कश्ती संग, बच्चों की किलकारियाँ, बयाँ कर जाते। कभी ना भुलाना,काग़ज़ की कश्ती,
पति एवं बच्चों की अति व्यस्तता ने उसे आभासी जगत से जोड़ा। धीरे धीरे कई मित्र जुड़ते गए और वह इस दुनिया में रम गयी।
ना जाने दौर ये कैसा आया है अपनों से ही मिलने को तरसता है दिल फ़िज़ा में बिखरी हैं तनहाइयाँ और हालात भी हैं थोड़े
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