अश्विनी राय ‘अरूण’ (सागर किनारे प्रतियोगिता | सहभागिता प्रमाण पत्र )
क्या मैं हूँ क्या तुम हो और क्या ये सागर का किनारा है नदियां और सागर की भांति जब तक अधूरा प्यार हमारा है पास
क्या मैं हूँ क्या तुम हो और क्या ये सागर का किनारा है नदियां और सागर की भांति जब तक अधूरा प्यार हमारा है पास
इस बरसते हुए मौसम में सागर की लहरों के उठते उफान में जैसे हर लफ्ज़ मचल उठा हो तुम्हे अपने करीब पाकर लहरों के किनारे
सदियां गुजारी है, यादों में तुम्हारे, ये तेरी तड़प है, सीने मै हमारे, फिर लोटा हूं मिलने, सागर के किनारे -२ वो आना वो जाना,
मेरा मन एक अथाह सागर लहरों को खिलाता हिचकोले सारा दुख और दर्द समेटे कहता चुप रह बिन मुँह खोले मेरा मन एक अथाह सागर
सागर किनारे वो लहरों की फुफकार वो लहरों की गर्जन करती है रेतों को तर्पण वो सागर की गहराई वो आसमान की ऊंचाई उस बीच
मैं लौटना नहीं चाहती थी फिर अपनी डगर में लहरें बढ़ती तो छोड़ देती मुझे चट्टानों की गोद में लहरों ने ख़ुद ही उठा लिया
सागर के किनारे खड़ी हुई जीवन की कश्ती को देखा हिचकोले खाती लहरों पर चाहती रही साहिल तेरे प्यार का…. मेरे हृदय की गहराइयों में
सागर किनारे खड़ी इक नदी सदी से इंतज़ार कर रही है मिलन हो ना पाया सागर से अब तक मैं तड़पूंगी कब तक अब सागर
Standing on the sea shore Amazed by the sea galore Fascinated by its vastness One is terrified sometimes Stunned by the high tides Spellbound by
To be or not to be, There’s the tug of war within since eternity, we all are so aware, we all can see. To dive
UBI stands for United By Ink®️. UBI is a Global Platform- the real-time social media interactive forum created for Readers, Writers and Facilitators alike.This platform aims to help creative souls realize their writing goals.
Click on our representatives below to chat on WhatsApp or send us an email to ubi.unitedbyink@gmail.com