ख्वाबों को हकीकत करने की
मेरी हर ख्वाहिश अभी अधूरी है,
आंखें मिलाकर देखो ना तुम
इनमें कितनी मज़बूरी है।।
दुनिया की गंदी सोच है जो
मैं प्रष्न नहीं उन बातों की,
हाथों से जिसने बड़ा किया
मैं ख्वाहिश हूँ उन आंखों की।।
हालातों से समझौता कर
मैंने खुद को यूँ समेट लिया,
देख ना मेरी ताकत तू
मैंने खुद से ही लड़ना सीख लिया।।
ना इनाम मिला, ना कोई खिताब
दुनिया कहती इसको ज़िम्मेदारी है,
हारकर दुनिया के रिवाजों से
मैंने औरों की ज़िंदगी सँवारी है।।
इन ताने-तमाशों की हर वारी
तुम मुझ पर ही क्यों आज़माते हो
एक माँ का अपमान करने वालों
खुद को मर्द ही क्यों कहलाते हो ??
अब अपनी पहचान बनाने की
हर कोशिश मेरी भी जारी है,
एक आज़ाद परिंदा बनने की
अब देख तू मेरी बारी है।।
-Stuti Tandon
Girls’ Dreams And Sacrifices
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Very nice