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हृदय की गहराईयों से

हृदय की गहराईयों से
आत्मा की ऊँचाइयों से
बहता हुआ भावनाओं का इत्र
जब बनाता है
कागज की जमीन पर
अनगिनत शब्द चित्र
तब बनती है कोई अनमोल कृति
और .. असंख्य मनस पटलों पर
अंकित कर जाती है अपनी स्मृति
झंकृत कर देती है
असंख्य हृदयों की वीणा के तार
पढ़ी जाती है युगों युगों तक
अनेकों के द्वारा
अनेक अनेक बार .. !!

◆ ◆【 प्रमोद 】◆ ◆

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