#UBI #Valentinesday
प्रीति स्नेह अपनापन
हाँ कितनी अजीब है ये बात
कि इंसान से नहीं उसके शब्दों से
मोहब्बत हो जाए।।
मानती हूँ
तलाश लिए जाते हैं शब्दों में
ताजमहल हीर रांझा सोहनी महिवाल सस्सी पून्नु
संपूर्ण नफरतों के पार जीत जाते है खोखले छलछंदी शब्द
लेकिन कभी कभी
दुर्भाव शब्दों से ज्यादा
पारदर्शी रहते हैं और
करा देते हैं एहसास कि
शब्द धोखा देते हैं – – – – स्नेहिल मोहब्बत के
लायक नहीं होते हैं
तमाम शब्दों के स्वर्ण महल छलावा होते हैं
छेनी हथौडी से नहीं
शब्दों से रची जाती हैं मूर्तियां
और स्थापित कर दी जाती हैं या स्वयं हो जाती हैं स्थापित
घर एक मंदिर की आभासी
फर्जी शब्दों की बीन पर मोहित अंधी गूंगी बहरी मोहब्बत के नाम।।
अपनेपन की झूठी तहरीरों के पीछे छिपे
दुराव – – दुजाभाव और दुर्भावी भावों के साथ।।
प्रेम सदा शाश्वत सत्य नहीं रहते
सिर्फ़ प्रेम दिवस के नाम पर
प्रेम दिवस के नाम पर।।
हेमलता मिश्र मानवी
Hmesha ki tarah bahut sundar