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लॉक डाउन में मेरा अनुभव

लॉक डाउन में मेरा अनुभव
प्रकृति से छेड़छाड़ के भयानक पहलू देखने के बाद अब लॉक डाउन अवधि में प्राकृतिक व स्वस्थ जीवन शैली लोगों को रास आ रही है। लॉक डाउन की अवधि में दुनिया भारतीय संस्कृति, जीवनशैली, योग व खानपान की विधियों से सीख ले रही है।
लॉक डाउन में हर किसी के अनुभव सीख, बातें, यादें, काम अलग अलग होंगी।
अनुभव :-
1.ऑनलाइन क्लासेज
2. क्रिएटिविटी
3. रचनात्मकता खानपान और पाक कला में निपुणता
4. सिलाई कढ़ाई आदि हुनर को जागृत करना
5. अपने अंदर के लेखक को जगाना
6.बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताना
7.बुजुर्गों की देखभाल में सुकून महसूस करना
*लॉक डाउन में मेराअनुभव*
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जैसा कि सर्वविदित है कि वर्तमान समय मे COVID 19 ,महामारी के रूप में पूरे विश्व में फैला हुआ है जिससे जन धन की भीषण हानि हो रही है ।पूरा विश्व इस महामारी से बचने के लिए तरह तरह के उपाय कर रहा है।भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश मे कई चरणों मे लॉक डाउन किया है।
हम सभी को अपने अपने घरों में रहना है ,सोशल डिस्टनसिंग का पालन करना है व अन्य स्वच्छता संबंधी नियमों का पालन करना है स्कूल ,कॉलेज ,बाजार ,कार्यालय ,मॉल, सिनेमाघर सभी बन्द है पर यह व्यवस्था हमारी सुरक्षा केलिए की गई है हमें सभी नियमो व आदेशो का पालन करना है ,माना कि कुछ परेशानियां है पर जीवन से अनमोल कुछ भी नहीं।जीवन है तो ये धन ,दौलत ,नाम है वरना कुछ भी नहीं। घरों में बच्चे ऑनलाइन शिक्षण में व्यस्त हैं, गृहणियां कुकिंग में व्यस्त है,अपने बच्चों की पढ़ाई में मदद कर रही हैं ,पुरुष अखबार और टेलीविज़न पर न्यूज़ देखने में व्यस्त है,अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं । कामकाजी लोग वर्क फ्रॉम होम में बिजी है ,आस पड़ोस ,परिवार व रिश्तेदारों के हालचाल नियमित फोन द्वारा लिए जा रहे हैं ,रिश्तों में आत्मीयता पनप रही है। बच्चे साफ सफाई के प्रति जागरूक हो रहे हैं व अनुशासित बन रहे हैं।टीचर्स अपने बच्चों को जिम्मेदारी के साथ व्हाट्सएप्प समूह बना कर सिखाने का प्रयास कर रहे हैं,उनसे बात करना ,उनकी समस्याओं को समझना और समाधान अच्छे से कर रहे हैं।
परिवार से बाहर इस कोरोना रूपी राक्षस से लड़ रहे हमारे कोरोना योद्धा डॉक्टर्स,पुलिस नर्सेस ,सफाईकर्मी अपने कार्यो को पूरी निष्ठा के साथ संपन्न कर रहे हैं,उनके प्रति हम सबको कृतज्ञ होना चाहिए व उन्हें धन्यवाद देना चाहिए।अपनी जान जोखिम में डाल कर वे हमारी सुरक्षा के लिए हर समय खड़े हैं।
पृथ्वी का वातावरण शुद्ध हो रहा है ,प्रदूषण स्तर गिर रहा है । ओजोन लेयर भर रही है ,पेड़ पौधे ,पशु पक्षी प्रसन्नचित्त हैं। एक सोचनीय प्रश्न केवल दिहाड़ी मज़दूरो की समस्याओं के प्रति है।हम सभी को उनके परिवारों से सहानुभूति रखनी चाहिए व यथासंभव मदद करनी चाहिए।एक विशेष बात और ध्यान रखनी है कि इस महामारी से बचने के लिए हमें हर पल सरकार के प्रयासों पर तो अमल करना ही है साथ ही स्वयं भी साफसफाई का ध्यान रखना है,सात्विक जीवन शैली को अपनाना हैऔर एक संकल्प लें कि दिन का आरंभ प्राणायाम व नियमित योगाभ्यास से करना है।इससे शरीर की रोगप्रतिरोधक छमता बढ़ेंगी और हम कोरोना को हरा पाएंगे।
वर्तमान समय में देश को एक होकर रहने की आवश्यकता है,हम एकजुट होकर,इस महामारी से लड़ेंगे तो अवश्य जीत हमारी होगी और हमारा देश पुनः विश्वगुरु का सम्मान प्राप्त क सकेंगे। कहते हैं मुश्किल समय लोगों को काफी कुछ सीखा जाता है। मेरे अनुभवों में शामिल है खट्टे – मीठे दोनों अनुभव सबसे पहले एक शिक्षक होने के नाते मेरे बच्चों अथवा छात्रों के प्रति मेरी जिम्मेदारी बनती है। इसलिए ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ना और उसकी राह की परेशानियों को मैंने देखा और उन्हें अपने स्तर से सुलझाने की भी कोशिश की, फिर अपने घर के बड़े बुजुर्गों के सामीप्य को पाकर, बच्चों की हंसी के कार्यों को निकटता से महसूस करते हुए मीठे मीठे अनुभव एकत्र किए। अंदर की लेखिका भी जागृत हो गई और कई लेख अखबारों में छपे तो अपने अंदर पूर्णता की भावना घर कर गई। पोस्टर बनाकर लोगों को जागरूक किया। एक शिक्षक होने के नाते फोन द्वारा सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए कोरोना के प्रति जागरूकता बढ़ाई साथ ही आपसी भाईचारा और पड़ोसी सौहार्द भी बढ़ाया। परन्तु मजदूरों की दुर्दशा को देखकर दिल भी दुखी हुआ और यह एक बहुत कड़वा अनुभव रहा फिर यथासंभव उनकी मदद का बीड़ा उठाया। खानपान, पाक कला में भी हाथ आजमाया।
बच्चों को आत्मनिर्भरता का गुण सिखाते हुए हल्की-फुल्की रेसिपीज बनाना सिखाया। ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कर के और सम्मान प्राप्त करके बहुत अच्छा लगा। स्वयं से स्वयं का परिचय भी इस लॉक डाउन में सबसे स्वर्णिम अनुभव रहा। विभिन्न वेबीनार में प्रतिभाग करना एक अनोखा अनुभव रहा और इन बेबीनारों में प्रमाण पत्र प्राप्त करना खुद को सुकून देने वाला रहा। जूम मीटिंग, गूगल मीट आदि टेक्निकल चीजों से रूबरू होने के नये अनुभव मिले। सबसे महत्वपूर्ण दोनों का वर्किंग होने पर समय का अभाव था आज इन दिनों ने खूबसूरत लम्हे दिए हैं।सबसे सुंदर जब मेरी छोटी सी बगिया में मेरे द्वारा बनाए हुए दाना पानी के साधन में चिड़िया और पक्षी पानी पीते हैं और दाना खाते हैं तो उनको देखना सबसे सुखद अनुभव रहा।
उपमा शर्मा (प्रभारी प्रधानाध्यापिका) क० पू० मा० वि० लिलौन , ब्लॉक/जिला-शामली।

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