अवधपुरी नौबतें बाजें, सकल सुख सुषमा साजैं,
मणिन ज्योति चहुँ ओर सरसैं,जगमग जगमग दुति भ्राजैं।
मलिनिया सुमन हार ले आईं,पुरी द्वार लड़ी लगाईं
पीत लाल हरित नील दरशैं,नारी वृन्द देखि देखि उमगैं।
सरयू धार उमड़ि उमगाई,अपार सुख बहार सरसाई,
कलकल कलकल नाद होवैं,देखि पेखि जन हिय हुलसैं।
बागन महँ सुमन खिलखालायें,कोकिल मधुकर मनभाये,
फुहारें क्रीड़ा सबिधि करें, निरखि पेखि नर नारी सुख बरसैं।
देवन दुँदुभि सरस बाजैं, नित्य’ नवीन’ उछाह फागै,
सब मिलि करत मँगल आरती, हृदय अनुराग जागैं।
By Dr Navin kumar Upadhyay
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