Urmila Sisodiya

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हे स्त्री! ............. हे स्त्री! मत सोच कि जमाना क्या कहता है? वहीं कर जो तुम्हारा दिल कहता है.. कहते हैं जब तुझे निर्बल, तब खून मेरा उबलता है। करा... More

मां की व्यथा ….................... जब भी तेरा बचपन देखा बह गई अश्रु की धार। इस बार भी तू नहीं आया सूना रह गया त्योहार। अपने बापू से तूने सीखा यौवन... More

यह मेरे द्वारा लिखी गई यह कविता आज के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा  देता है।इसमें स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करने पर भी जोर दिया गया है।    More

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